आज़ादी के सात दशक बाद सड़क तो बनी, मगर मांजू-डाबरी, बल्देयां और बसंतपुर जैसे पंचायतों में आज भी परिवहन की हालत बेहद चिंताजनक है। क्षेत्र में एकमात्र चल रही 29 सीटर बस में तीन गुना से भी ज़्यादा, यानी 90 से 105 तक सवारियां सफर करने को मजबूर हैं। यह बस स्कूली बच्चों से लेकर दफ्तर जाने वालों, और बीमारों तक का एकमात्र सहारा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बस में क्षमता से अधिक सवारी के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। एक बार तो बस का टायर भी फट चुका है। ग्रामीणों ने बार-बार मांग की है कि देवीधार की बजाय बस को मांदर होते हुए चलाया जाए, जिससे बल्देयां, मांजू-डाबरी और बसंतपुर जैसे गांवों को राहत मिल सके।
पंचायत द्वारा प्रस्ताव पारित कर परिवहन निगम के मंडलीय प्रबंधक को सौंपा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। जनता स्थानीय विधायक एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह से भी मिल चुकी है, लेकिन उनकी ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
गांव के नेक चंद शर्मा, रूप चंद शर्मा, डीना राम वर्मा, रूपेंद्र लाल शर्मा, रीता देवी, शांति देवी, कमाक्षी शर्मा और पदम देव शर्मा सहित कई ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो उन्हें सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा।