झील सी गहरी प्यारी आंखें
नीली पीली कजरारी आंखें
लाल गुलाबी काली आंखें
गहराई में ले जाती आंखें
बचना,
ये सब ठगती हैं आंखें !
देखती ,सब समझती आंखें
परखती भालती हैं येआंखें
जुबान तो नहीं रखती आंखें
केवल तरसती हैं ये आंखें
बचना,
ये सब ठगती हैं आंखें !
कहीं भटकती हैं येआंखें
टपटप करती रहती आंखें
कभी बरसती हैं ये आंखें
जवाब नहीं इनआंखों का
देखी , रोती हंसती ये आंखें !
बचना,
ये सब ठगती हैं आंखें !
मूक भाषा में, माहिर आंखें
सांठ गांठ जाने ये आंखें
कभी लगें बड़ी डरावनी
मार से मारी जाएं जो आंखें !
बचना,
ये सब ठगती हैं आंखें !
न मिलाना, न दिखाना आंखें
पछताओ गे ,कट जाओ गे
आंखों से आंखे जब टकराओ गे
और किरकिरी आंखों की बन
आंखों में ही उलझ जाओ गे !
बचना, ये बस ठगती हैं आंखें !