कुलदीप वर्मा, कीकली रिपोर्टर, 14 जून, 2019, शिमला
धरती के स्वर्ग कश्मीर से हिमाचल अवलोकन करने पहुंचे छात्रों व अध्यापकों की खुशमिजाजी और फागली स्कूल स्टाफ की मेजबानी के बीच देव भूमि व धरती के स्वर्ग की संस्कृति के सुन्दर मिलन से उपजी एकता व भाईचारे के संदेश की महक ने हर चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर डाली ।
भारती फाउंडेशन के आयोजन प्रयासों के साथ कश्मीर के 10 जिलों के 110 स्कूली छात्र व अध्यापक वर्ग ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला फागली पहुँचकर न केवल अपनी संस्कृति को साझा किया बल्कि हिमाचली संस्कृति को आत्मसात कर प्रेम और सम्मान की स्वर लहरियाँ छेड़ सबका मन मोह लिया ।
स्कूल के प्रवेश द्वार पर फूलों से मेहमानों के भव्य स्वागत के बाद सभागार में स्कूल प्रधानाचार्य रमा रेटका व जम्मू कश्मीर नोडल अधिकारी मंजूर अहमद वानी द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद छात्रों व अध्यापकों ने अपने-अपने राज्यों के बारे में एक दूसरे को परिचित करवाया । फागली स्कूल के छात्रों ने पहाड़ी नाटी के साथ कश्मीरी बच्चों का स्वागत किया । अनंतनाग के छात्रों ने बूमरो-बूमरो गीत गाया तो वहीं बारामुला के छात्रों द्वारा कवाली पेश की गई । कुपवाड़ा के छात्र द्वारा आकर्षक नृत्य प्रस्तुति दी गयी । इसी तरह पुलवामा के अध्यापक द्वारा हिमाचली लोक गीत माँए ने मेरिए शिमले दी राहें चंबा कितनी दूर व कशमीर लदिशाह की मनभावन प्रस्तुति ने खूब वाहवाही लूटी । इसी तरह फागली स्कूल की छात्राओं द्वारा गाए हिमाचल अपना जानि ते भी प्यारा, देशां दे देश हमारा प्यारा और आमा जी, लोक गीतों व पहाड़ी नाटियों की सुन्दर प्रस्तुतियां प्रस्तुत की ।
इस दौरान जम्मू कश्मीर नोडल अधिकारी मंजूर अहमद वानी ने कहा कि कश्मीर व शिमला आपस मे मिलते जुलते प्रतीत होते हैं यहाँ आकर भाई चारे और अमन का क्षेत्र देख बेहद खुशी हुई । उन्होंने कहा कि बच्चों ने शिमला कि वादियों का नजारा कर खूब मनोरंजन किया । वानी ने हिमाचलवासियों की मेजबानी पर आभार व्यक्त किया तो वहीं फागली स्कूल प्रधानाचार्य रमा रेटका ने समग्र शिक्षा विभाग का ध्न्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम लगातार होने चाहिए । उन्होंने कहा इस कार्यक्रम में आपसी बातचीत और मेल जोल की बदौलत अनेक भ्रांतियाँ मिटी हैं, जिससे कश्मीर की संस्कृति और बच्चों के प्रति और अधिक सम्मान बढ़ा है।
कार्यक्रम के उपरांत फागली कूल स्टाफ ने कश्मीर से पहुंचे छात्र वर्ग को हिमाचली व्यंजन खिलाकर अपनी संस्कृति को दर्शाया । इस दौरान न केवल अध्यापकगणों में बल्कि छात्र वर्ग में भी एक अलग जोश और उत्साह देखने को मिला ।
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