
हिलोरे
जीवन चक्र के
झूले में,
झूल हर कोई
हिलोरे लेता है।
कोई कम
कोई अधिक,
बस अपने कर्मों का
फल वसूल लेता है !
रिश्ते
रिश्तों के जंगल में,
घनघोर अंधेरे हैं,
निकले किधर से कोई,
चारों ओर खामोश निगाहों
के पहरे हैं !
भेद
पर्दे का
पर्दा उठ जाने से,
भेद सारे खुल जाते हैं !
लाख छुपा ले कोई,
कपड़ों के अंदर भी
नंगे नजर आते हैं !
हालत के साथ साथ
मौसम भी बदल जाते हैं !