December 21, 2024

जिम्मेदारी का एहसास

Date:

Share post:

जिम्मेदारी का एहसास
रणजोध सिंह

रोहण की उम्र अभी मात्र पच्चीस वर्ष की ही हुई थी कि वह बीमार रहने लगा| अबिलम्ब उसके पिता श्री उसे अच्छे अस्पताल में लेकर गए| योग्य डॉक्टर ने उसके अनेक परीक्षण किये और स्पष्ट किया कि रोहण उच्च रक्तचाप व हाई कोलेस्ट्रॉल का रोगी बन गया है| डॉक्टर ने उसे कुछ दवाइयाँ दी और साथ ही कुछ हिदायतें भी| डॉक्टर ने साफ़-साफ़ बताया कि यदि वह चाहता है कि उसका आगामी जीवन सुखद हो तो उसे अपनी जीवन चर्या (लाइफ स्टाइल) बदलनी पड़ेगी|

समय पर सोना, समय पर जागना और कम से कम सात घंटे की नींद तो अनिवार्य रूप से लेनी पड़ेगी| फास्ट-फूड व तली हुई चीजों से भी पूर्ण रूप से परहेज़ करना होगा| सवेरे उठकर कोई व्यायाम करना होगा या फिर सुबह-शाम सैर करनी होगी| स्क्रीन की दुनिया का नायक रोहण डॉक्टर की इतनी सारी हिदायतें सुनकर परेशान हो गया| अपने परिवार वालों के दवाव डालने पर उसने जिम जाना तो प्रारंभ कर दिया मगर सिर्फ नाम के लिए| जो लड़का बाज़ार तक जाने के लिए अर्थात आधा किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए भी बुलेट मोटरसाइकिल का प्रयोग करता हो, उससे किसी व्यायाम या सैर की अपेक्षा करना निर्थक था| खाने पीने को लेकर भी उसने कोई गंभीरता नहीं दिखाई|

चूँकि बचपन से ही वह बाजारी चीजों का शौकीन था, अत: फास्ट फूड देखते ही उसकी लार टपकने लगती और वह खुद को रोक नहीं पाता था| घर के सारे सदस्य उसकी इस आदत से परेशान व चिंतित थे, मगर रोहण फास्ट फूड को देखकर विवश हो जाता था| एक सुबह रोहण अपने पिताजी के साथ उनके निजी वाहन में बैंक का जरूरी काम निपटा कर घर वापिस आ रहा था| ड्राइविंग सीट पर वह स्वयं था| अभी उनका घर तीन-चार किलोमीटर दूर था| तभी रास्ते में पड़ने वाले पेट्रोल-पम्प पर वह गाड़ी से उतरा और पेट्रोल डालने वाले लड़के को बड़े रोब से हिदायत देते हुए बोला, “टैंक फुल कर दो, मगर ध्यान रखना ये पेट्रोल-गाड़ी है, कहीं डीजल डालकर गाड़ी का सत्यानाश न कर देना|”

गाड़ी फुल करवाने के बाद रोहण जैसे ही ड्राइविंग सीट पर बैठा पिताजी बड़े स्नेह-पूर्वक बोले, “ बेटा तुम पांच-सात लाख की गाड़ी के लिए इतने चिंतित हो कि कहीं डीज़ल डालने से खराब न हो जाए, मगर ज़रा सोचो, तुम्हारा शरीर तो अमूल्य है| करोड़ों अरबों रुपए लगाकर भी इसे प्राप्त नहीं किया जा सकता, फिर क्या सोचकर तुम इसमें बेकार का कूड़ा-कचरा डालते रहते हो?” रोहण को काटो तो खून नहीं, उसके पिता जी के सामायिक व स्नेहिल शब्दों ने उस पर २-जादू सा असर किया था|

उसे पहली बार ये एहसास हुआ कि उसका शरीर कोई डस्ट-बिन नहीं कि उसमें बिना सोचे समझे कुछ भी डाल दिया जाए| उसने तत्क्षण निर्णय लिया और तुरंत गाड़ी से उतर गया और बड़े आदरपूर्वक गाड़ी की चाबी अपने पिता जी को थमाते हुए बोला “ अब घर थोड़ी सी दूर रह गया है, गाड़ी आप चला लो, मैं थोड़ा पैदल चल लेता हूँ| टांगों की थोड़ी कसरत हो जाएगी| ये कहकर वो एक नए संकल्प के साथ तेज तेज कदमों से घर की तरफ चलने लगा|

A Poet’s Craft: An Exploration of Emotion & Expression: Sitaram Sharma — व्यक्तित्व – बातचीत का कारवां

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Union Minister Bhupender Yadav to Release ISFR 2023 in Dehradun

Union Minister of Environment, Forest and Climate Change Bhupender Yadav will release the India State of Forest Report...

AI-Driven Diagnostics and Telemedicine – Transforming Healthcare Accessibility

Union Minister of State (Independent Charge) for Science and Technology, Minister of State (Independent Charge) for Earth Sciences,...

हिमाचल प्रदेश सरकार के जनकल्याणकारी कार्यक्रमों का विशेष प्रचार अभियान

प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विशेष प्रचार अभियान...

FIR Against Rahul Gandhi Raises Political Controversy

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu has termed the FIR registered against Leader of the Opposition in Lok...