June 25, 2025

महेश्वरी समाज और महेश नवमी – डॉ. कमल के. प्यासा

Date:

Share post:

डॉ. कमल के. प्यासा – मण्डी

देवों के देव महादेव की लीला भी अपरंपार है। कहते हैं कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के नवमी वाले दिन भगवान शिव ने प्रकट हो कर कई एक दुखियों के दुखों का निवारण करते हुए क्षत्रिय वंश से संबंध रखने व पशुओं का शिकार वाले लोगों के समूह को दर्शन दे कर, उन्हें पशु शिकार से मुक्ति दिला कर वैश्य कर्म करने को प्रेरित किया था। उसी दिन से शिकार करने वाले ये क्षत्रिय लोग (शुक्ल पक्ष नवमी के दिन से ही), महेश्वरी कहलाने लगे।

पौराणिक कथा के अनुसर खंडेला राज्य के राजा सुजान सिंह सेन अपने 72 दरबारियों (उमरावों) के साथ शिकार को जा रहे थे। जिसके लिए उन्हें उत्तर दिशा के वन की तरफ जाने के लिए मना किया गया था, क्योंकि उस क्षेत्र में सप्त ऋषि अपनी तपस्या व यज्ञ आदि करने में लगे थे। राजा सुजान सिंह सुना अनसुना करते हुए अपनी ही लगन से (शिकार के ख्यालों खोए) बस चलते ही गए और उधर पहुंच गए, जिधर ऋषि लोग अपने यज्ञ, पूजा पाठ व तपस्या में लीन थे। जब ऋषियों ने राजा व उसके दरबारियों के समूह को अचानक वहां एक साथ पहुंचे देखा वे सब दंग रह गए और उनकी समस्त पूजा पाठ व तपस्या अस्त व्यस्त हो गई। सारी व्यवस्था को भंग होते देख ऋषि श्रृंगी और दधीच को क्रोध आ गया, उन्होंने राजा व उसके सभी दरबारियों को शाप दे कर वहीं जड़वत कर पत्थर बना दिया।

जब यह दुखद समाचार खंडेला की रानी चंद्रावती को मिला तो उधर खल बलि मच गई और रोते चिल्लाते रानी ने सभी दरबारियों की पत्नियों को खबर कर, उन सभी को साथ लेकर ऋषियों के समक्ष जा पहुंची। उन्होंने ऋषियों से गिड़गिड़ाते व करबघ प्रार्थना करते हुए, अपने पतियों को शाप मुक्त करने के लिए कहा। जिस पर ऋषियों ने उन पर सहानुभूति प्रकट करते हुए, उन्हें भगवान शिव के अष्टाक्षर मंत्र के जाप के लिए कहा। भगवान शिव भोले के अष्टाक्षर मंत्र का जाप, उन सभी महिलाओं द्वारा करने से वे सभी जड़वत हुए राजा व दरबारी शाप से मुक्त हो गए। इसलिए ही तो भगवान शिव भोले शंकर महेश की, सभी तरह के दुख दर्दों से मुक्ति पाने व सुख समृद्धि के लिए उपासना करते हैं। तभी तो ये समस्त महेश्वरी समाज के लोग सत्य, प्रेम व न्याय में विशेष विश्वास रखते हैं और हमेशा सभी के सुखद भविष्य की कामनाएं करते हैं।

महेश नवमी के दिन इनके द्वारा भगवान शिव पार्वती के पूजन से साथ ही साथ, भजन कीर्तन, नगर कीर्तन, शोभा यात्रा सुन्दर सुंदर झांकियों के साथ निकली जाती है। विशेष आयोजनों में, संगीत सभाएं, नृत्यों की प्रस्तुति, चित्रकला, अल्पना, रंगोली, खेल कूद व रक्त दान शिवरों का आयोजन भी विशेष रूप से किया जाता है। शोभा यात्रा के पश्चात सभी को प्रसाद बांटा जाता है। इस तरह से भगवान शिव की महेश नवमी का यह त्योहार मात्र पौराणिक त्योहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और भाई चारे का विशेष संदेश वाहक भी है।

 

काली पूजा – डॉ. कमल के. प्यासा

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

NAVYA Launched to Empower Girls in Sonbhadra

The Government of India today launched ‘NAVYA’, a nationwide vocational training initiative aimed at empowering adolescent girls aged...

Welfare Board to Open Sub-Office at Balichowki

The 49th meeting of the Board of Directors (BoD) of the Himachal Pradesh Building and Other Construction Workers...

CM Mandates News Reading for Students

In line with the directions of CM Sukhu, the Education Department has made daily news reading during morning assemblies...

PMSBY मुआवजा तिथि 30 जून तक बढ़ी

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत मुआवजा प्राप्त करने की अंतिम तिथि 30 जून, 2025 तक बढ़ाई गई...