गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशों के तहत हिंदी को प्रोत्साहित करने और कर्मचारियों के बीच इसके उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एसजेवीएन (SJVN) ने अखिल भारतीय राजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का आयोजन शिमला स्थित कॉर्पोरेट मुख्यालय में किया गया, जिसमें निगम के वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।

हिंदी के संवर्धन पर जोर
संगोष्ठी का उद्घाटन निदेशक (कार्मिक) द्वारा किया गया, जिन्होंने उपस्थित कर्मियों को हिंदी के प्रशासनिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा केवल संचार का माध्यम ही नहीं, बल्कि भारतीय साहित्य और सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा भी है। संगोष्ठी के माध्यम से हिंदी के व्यवहारिक और प्रशासनिक उपयोग को और मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया गया।
हिंदी भाषा के विकास पर विचार-विमर्श
संगोष्ठी के दौरान विभिन्न विशेषज्ञों और हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों ने अपने विचार रखे:
- हिंदी के वैश्विक प्रभाव और उसकी बढ़ती स्वीकार्यता
- भारतीय ज्ञान परंपरा में हिंदी की विरासत
- संविधान में हिंदी भाषा के नियम और अधिनियम
- प्रशासनिक कार्यों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के तरीके
हिंदी को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की अपील
कार्यकारी निदेशक (मानव संसाधन) ने हिंदी को कार्यालयी कार्यों के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी विविधता में एकता का प्रतीक है और प्रशासन, तकनीक एवं अन्य क्षेत्रों में इसके बढ़ते प्रभाव को प्रोत्साहित करना हम सभी का नैतिक दायित्व है।
हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने की पहल
एसजेवीएन द्वारा यह संगोष्ठी न केवल हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करने का अवसर बनी, बल्कि हिंदी के प्रभावी उपयोग के लिए नए विचारों और सुझावों का भी आदान-प्रदान हुआ। इस पहल से हिंदी को सरकारी और प्रशासनिक कार्यों में अधिक प्रभावी रूप से अपनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया गया।