उस दिन स्कूल में पर्यावरण दिवस मनाया गया था| सभी बच्चों ने अध्यापकों की देख-रेख में स्कूल से लेकर बाजार तक एक जोरदार रैली निकाली जिसमें स्थानीय लोगों को अपने घर के आसपास की सफाई करने का आग्रह किया गया| बच्चों के हाथों में स्वयं के बनाए हुए पोस्टर थे, जिन पर पर्यावरण बचाने के आकर्षक नारे लिखे हुए थे| इतना ही नहीं कुछ बच्चे अति उत्साहित होकर पर्यावरण बचाने के लिए गगन-भेदी नारे लगा रहे थे|
बाजार के चौक पर पहुंचकर बच्चो ने किसी कर्मठ योद्धा की तरह आसपास की सभी सड़कों की सफाई की, जगह-जगह पर पड़े हुए पॉलीथिन हटाए तथा आस-पास की धरती को प्लास्टिक मुक्त करने की पुरज़ोर कोशिश की| आसपास के सभी दुकानदार बच्चों के सफाई अभियान से काफ़ी प्रभावित हुए| स्कूल के अध्यापकों ने भी इस रैली में बढ़ चढ़कर भाग लिया| रैली में बच्चों का जोश देखकर कुछ पत्रकार भी पहुंच गए| उन्होंने अपनी अखबार की न्यूज़ के लिए इस रैली की कई तस्वीरें भी ली| दोपहर होते होते बच्चे रैली खत्म कर स्कूल ग्राउंड में पहुँच गए जहाँ पर स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को केले और संतरे रिफ्रेशमेंट के रूप में दिए गए|
रिफ्रेशमेंट खाने के बाद बच्चे भूल गए कि वे पर्यावरण दिवस मना रहे हैं उन्होंने केले-संतरे आदि फल खाए और छिलके वहीं फेंक दिए| रोहित जो सातवी कक्षा का विद्यार्थी था जब अपने घर की तरफ जा रहा था तो किसी व्यक्ति ने केले के छिलके अपने घर की पहली मंजिल से सड़क के किनारे रखे हुए डस्टबिन में फैंकने का प्रयास किया, मगर केले के छिलके डस्टबिन में न गिरकर सड़क पर ही गिर गए| रोहित को उस व्यक्ति पर क्रोध तो बहुत आया मगर उसने बिना कोई प्रतिक्रिया किये छिलकों को उठाया और डस्टबिन में डाल दिए|
एकाएक उसे याद आया कि उन्होंने भी तो फल खाकर छिलके ग्राउंड पर ही फैंक दिए हैं, फिर इस आदमी और उनमे क्या फर्क रह गया| उसने तुरंत अपने दो दोस्तों को अपने साथ लिया और ग्राउंड की सफाई करने हेतु दुबारा स्कूल पहुँच गया| स्कूल पहुँचते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उन्होंने देखा कि स्कूल का सारा स्टाफ़ जा चुका था और स्कूल के प्रधानाचार्य स्वयं विद्यार्थियों द्वारा फैंके गए छिलकों को उठा कर डस्टबिन में डाल रहे थे| उन्होंने तुरंत अपने किये हुए कृत्य के लिए प्रधानाचार्य जी से क्षमा मांगी और बिना समय गवाए ग्राउंड की सफाई कर दी|
प्रधानाचार्य जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं हमें अपने देश स्वच्छ बनाना है, थोड़ा सा योगदान तो मेरा भी होना चाहिए|” वे कुछ देर के लिए रुके और फिर प्रसन्नता पूर्वक बोले, “तुम लोगों को देखकर मैं कह सकता हूँ कि आज की पर्यावरण रैली शत प्रतिशत सफल रही, क्योंकि जाने-अनजाने जो गलती तुमसे से हुई थी, उसे सुधारने तुम दुबारा स्कूल आ गए| अब मुझे पूर्ण विशवास है कि शीघ्र ही हमारा प्यारा भारत स्वच्छ व प्रदुषण मुक्त देश बन जाएगा|” इस बीच रोहित और उसके दोस्त पहले से ही स्वच्छता का संकल्प ले चुके थे|