बुलंदियां: डॉ. कमल के. प्यासा
डॉ. कमल के. प्यासा
बुलंदियां छूना ऊंचा उठाना, अच्छा लगता है खुद को, सब को! बुलंदियां बढ़ाती हैं, दूरियां और फासले! जिनसे पनपते हैं भरम...
बू : डॉo कमल केo प्यासा
बू गंदगी की गलने की सड़ने की चाहे हो दूषित खाद्यानों की या ऋणात्मक सोच विचारों की !बू आ ही जाती है, अंतर...
तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा
क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए !किसे बताऊं किसे सुनाऊं...
एक पहचाण: डॉo कमल केo प्यासा
हाऊं,कुण हाकैथी हाकियांहा हामुंझो किछ भी तथोग पत्ता नी !मेरी पक्की परख पहचाण ,हाडकुआ री कोठरुआ मंज बंदएक जियुंदा हांडदा टपदाजगह जगह थुड खांदामाणु...
समस्या: डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासाये समस्या है ,सब को ठन रही हैसमझता है हर कोईउलझन बड़ रही है,सिसकता रोताआंसू बहता ,बेचारा...
चेहरे से परदे जरूर हटाऊंगा: डॉक्टर जय अनजान
हम रहे हमेशा सादगी में,इंसानियत रहा हमारा गहना,कभी इतराए नहीं अपने कर्मो से,हमेशा सीखा है हमने प्रेम में बहना।तुम कहते हो कि मैं कुछ...