बहिर्मुख – दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
दीप्ति सारस्वत प्रतिमाकवि ने लिखी
अपनी नज़र में
बेहद खूबसूरत एक
नई कविता
लिखते ही
उल्लास में पुकारा उसने
अपनी बीवी को
अजी सुनती हो
इधर तो आना ज़रा
पत्नी रसोई का काम...
हां या ना — दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
दीप्ति सारस्वत प्रतिमाजब जब कोई
किसी भी बात के लिए
दिल से कहता है 'हां'
गर्दन हिला भरता हामी
तब तब चेहरे पर उसके
हामी के साथ साथ फैल...
विरासत — दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, शिमलाघर भर में और आस पास
अपने से कमज़ोर दिखते उसे
बस अपने बच्चे
उधर सास ने जली कटी सुनाई
इधर किसी भी
न मालूम बात...
सोचती हूँ — लौह पुरूष वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में राष्ट्रीय एकता पर विशेष
दीप्ति सारस्वत प्रतिमासोचती हूँ
1
पले हैं हम बढ़े हैं
एक स्वतंत्र राष्ट्र में
राष्ट्र जो है
भारत इंडिया हिन्दोस्तान
जो जिस नाम से पुकारे
लौटा कर देता प्रेम
सबको एक समान
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2
कहती...
बादलों की श्यामल चादर– Picture of the Day
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
उनींदा मौसम तंद्रालीन, बादलों की श्यामल चादर, तान के पसरा है, पहाड़ों पर, संध्या सिंदूरी न हुई आज, सूरज विमुख रहा पूरा...
रिश्ता — दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, प्रवक्ता हिंदी, रा .व. मा. विद्यालय, बसंतपुर, शिमलास्वाति और नीलेश पहाड़ घूमने बर्फ़ देखने हनीमून मनाने आये हैं।जिस होटल में वे...