दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
कवि ने लिखी
अपनी नज़र में
बेहद खूबसूरत एक
नई कविता
लिखते ही
उल्लास में पुकारा उसने
अपनी बीवी को
अजी सुनती हो
इधर तो आना ज़रा
पत्नी रसोई का काम...
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
सोचती हूँ
1
पले हैं हम बढ़े हैं
एक स्वतंत्र राष्ट्र में
राष्ट्र जो है
भारत इंडिया हिन्दोस्तान
जो जिस नाम से पुकारे
लौटा कर देता प्रेम
सबको एक समान
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2
कहती...