March 10, 2025

Tag: प्रकाशमेंअंधकार

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ग़ज़ल: मानवता पर डॉo कमल केo प्यासा के विचार

आदमी को आदमी ही खाने लगा है ?लहू अपना ही खुद शर्माने लगा है !महज़ के नाम पर उठती हैं लाठियां !ईमान इतना डगमगाने...

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