फासला (बाप बेटा संवाद): डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासामैं बहका हूं !या तुम बहके हो !समझ नहीं कुछ आता !मैं कहता हूंनीचे देखो,तुम बुलंदियां छूते...
रात रोई है: डॉo कमल केo प्यासा
रातरात रोई हैरात भर !कुछ सहमी सहमी,डरी डरी,कुछ ठंडी ठंडी औरकुछ भीगी भीगी सी,साक्षी भौंर पुकार उठी !बूंद बूंद ये मोती,कलियों पे हरियाली पेफूलों...
सोच: डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासाखेलताकोई आग मेंचिलचिलाती धूप औरबरसते पानी की बरसात मेंमिट्टी धूल सेतो कहीं गंदगी कचरेकूड़े कबाड़ केढेर सेबैठा...