July 1, 2025

Tag: हिंदीकविता

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फासला (बाप बेटा संवाद): डॉo कमल केo प्यासा

प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा मैं बहका हूं !या तुम बहके हो !समझ नहीं कुछ आता ! मैं कहता हूंनीचे देखो,तुम बुलंदियां छूते...

रात रोई है: डॉo कमल केo प्यासा

रातरात रोई हैरात भर ! कुछ सहमी सहमी,डरी डरी,कुछ ठंडी ठंडी औरकुछ भीगी भीगी सी,साक्षी भौंर पुकार उठी ! बूंद बूंद ये मोती,कलियों पे हरियाली पेफूलों...

सोच: डॉo कमल केo प्यासा

प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा खेलताकोई आग मेंचिलचिलाती धूप औरबरसते पानी की बरसात में मिट्टी धूल सेतो कहीं गंदगी कचरेकूड़े कबाड़ केढेर से बैठा...

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