Tag: हिंदीकविता
फासला (बाप बेटा संवाद): डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
मैं बहका हूं !या तुम बहके हो !समझ नहीं कुछ आता !
मैं कहता हूंनीचे देखो,तुम बुलंदियां छूते होमैं कहता हूं नीचे उतरो,तुम हवा में...
रात रोई है: डॉo कमल केo प्यासा
रातरात रोई हैरात भर !
कुछ सहमी सहमी,डरी डरी,कुछ ठंडी ठंडी औरकुछ भीगी भीगी सी,साक्षी भौंर पुकार उठी !
बूंद बूंद ये मोती,कलियों पे हरियाली पेफूलों से झुकी हर डाली पे,पौ फटने से...
सोच: डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
खेलताकोई आग मेंचिलचिलाती धूप औरबरसते पानी की बरसात में
मिट्टी धूल सेतो कहीं गंदगी कचरेकूड़े कबाड़ केढेर से
बैठा निश्चित हैबेखबर कोई,इन सारे भेदों केखेल से...