रणजोध सिंह
हर कवि मंच पर आते ही औपचारिकतावश सर्वप्रथम आयोजकों का धन्यवाद व तारीफ़ कर रहा था, विशेष रूप से मुख्य आयोजक की। कुछ कवियों ने तो भावना में बहकर मुख्य आयोजक के ऊपर ही कविताएं पढ़ डाली। इतनी तारीफ़ सुनकर आयोजक भी परेशान हो गए, क्योंकि सभागार में कवि ज्यादा और सुनने वाले केवल आयोजक थे।
अचानक मुख्य आयोजक जो मंच संचालक भी था, ने घोषणा की, “आप समय को ध्यान में रखते हुए मेरी तारीफ़ करना बंद करें और कृपया मंच पर आकर बिना किसी भूमिका के अपना कविता पाठ प्रारंभ करें ताकि कार्यक्रम समय पर समाप्त हो सके। तभी एक नवयुवती कविता पाठ के लिए मंच पर आई और आते ही मुख्य आयोजक को महिमा मंडित करने लगी। मुख्य आयोजक ने तुरंत टोका, “मैडम जी आप केवल अपनी कविता पढ़िए।” युवती ने भी बिना समय गवाए हंसते हुए कहा, “ठीक है मैं भी बेकार की बातों में समय बर्बाद नहीं करना चाहती, लीजिए मैं सीधे-सीधे कविता ही सुनाती हूं।”