
(रंगकर्मी)
27 मार्च विश्व रंगमंच दिवस के रूप मैं मनाया जाता है । किसी भी दिवस का आयोजन उस विषय विशेष अथवा कार्य विशेष के चिंतन मनन और उसको और अधिक गति प्रदान करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों के चिंतन एवं विश्लेषण के समावेश का दिवस रहता है । संभवत विश्व रंगमंच दिवस पर आज हम रंगमंच के प्रति भी चिंतन को नया आकार देने के लिए एक सोच उत्पन्न करने के लिए अग्रेसर हो यही विश्व रंगमंच दिवस का सही मायनों में सार्थकता होगी ।
आज हिमाचल प्रदेश और संपूर्ण हिंदुस्तान में रंगमंच की जो स्थिति है उससे रंगकर्मी अवश्य ही अभाव का अनुभव करते हैं साथ ही साथ दर्शकों की रंगमंच के प्रति रुचि और संबद्धता भी चिंता और चिंतन का विषय है रंगमंच एक बृहद विषय है जो अन्य विषयों को अपने अंदर समावेशित किए हुए है। हिमाचल प्रदेश अन्य प्रदेशों के मार्फत रंगमंच में किया जा रहे कार्यों और प्रयासों में गुणवत्ता और अधिकता लिए हुए उत्तर भारत मैं गैर व्यवसायिक रंगकर्म के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है।
नई शिक्षा नीति के तहत संपूर्ण देश मैं रंगमंच को पाठ्यक्रम मैं अन्य विषयों की तरह अधिमान दिया गया है किंतु अन्य राज्यों मैं जहां रंगमंच को विश्वविद्यालयों में अलग विभाग के रूप में स्थापित कर पढ़ाया जा रहा है वही हिमाचल प्रदेश मैं इस ओर कोई गौर नहीं किया। प्रदेश के रंगकर्मियों के द्वारा बार बार सभी सरकारों से अनुनय और विनय के बावजूद किसी ने इस और ध्यान नहीं दिया।
स्कूली स्तर पर रंगमंच विषय को संगीत, नृत्य अथवा चित्रकला के समरूप न रख कर प्रारंभिक रूप मैं अगर सरकार प्रदेश मैं आरंभ करती है तो रंगमंच को प्रदेश मैं प्रफुल्लित और प्रसारित करने मैं सहायता मिलेगी । शिमला और प्रदेश मैं रंगमंच विषय को शैक्षणिक आधार पर पढ़ने के लिए शिक्षकों की कमी नहीं है। विश्व रंगमंच दिवस पर प्रदेश के रंगकर्मियों की सरकार से या मांग है।