नीलम भट्ट, नई दिल्ली 

भीगा मन…. यादें बारिश की, बचपन की बारिश की! पेड़ अब भी भीगते होंगे, आम अब भी टपकते होंगे। कविताओं की कड़ी में एक और कविता!

 

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