
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अतुल कौशिक (रि) ने युवाओं का आह्वान किया है कि वे युद्ध की स्थिति में वालंटियर बनकर सामाजिक सुरक्षा में सरकार के साथ सहयोग करें। अफवाहों को रोकने, दुश्मन के हवाई हमले के घायलों को फर्स्ट ऐड एवं रेस्क्यू करने, पीड़ितों तक राहत पंहुचाने, रक्तदान शिविर लगाने और सरकारी निर्देशों का पालन कराने में युवा बहुत महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
मेजर जनरल अतुल कौशिक (रि) उमंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार में युवाओं के साथ चर्चा कर रहे थे। फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के अनुसार कार्यक्रम का विषय था “युद्ध की स्थिति में युवाओं का दायित्व”।
इसमें लगभग 100 युवाओं ने हिस्सा लिया और रक्षा विशेषज्ञ से प्रश्न पूछे। जनरल कौशिक ने कहा कि युवा वर्ग को पुलिस, प्रशासन, फायर ब्रिगेड, और राज्य आपदा राहत (एसडीआरएफ) के साथ तालमेल बना कर आवश्यक ट्रेनिंग लेनी चाहिए।
मेजर जनरल कौशिक ने कहा हमारी सेनाएं सीमा पर दुश्मन से निपटने में सक्षम हैं। पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा हिंदू पर्यटकों की हत्या का बदला काफी हद तक “ऑपरेशन सिंदूर” से लिया जा चुका है। लेकिन नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच सैन्य झड़पों की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि सेनाएं जब मोर्चे पर दुश्मन से निपट रही होती हैं उस समय नागरिक प्रशासन और समाज का दायित्व शांति और सद्भाव बनाए रखना होता है। ऐसे में दुश्मन द्वारा सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही अफवाहों को युवा वर्ग रोक सकता है। वे सोशल मीडिया पर भारत विरोधी किसी भी संदेश को फॉरवर्ड न करें बल्कि साइबर सेल में उसकी रिपोर्ट करें। सिर्फ सरकार द्वारा दी गई सूचनाओं पर विश्वास करना चाहिए।
सैन्य वाहनों की आवाजाही के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर बिल्कुल नहीं डाला जाना चाहिए क्योंकि इससे दुश्मन को मदद मिलती है। यदि कोई ऐसा करता है तो युवा पुलिस को शिकायत करें। कहीं पर भी कोई संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि दिखाई देने पर भी युवा पुलिस को सूचित करें। इससे पूर्व मेजर जनरल कौशिक ने बताया कि युद्ध कितने प्रकार के होते हैं और भारतीय सेना उनसे कैसे निपटती है।