बंदना शर्मा, शिक्षक और काउंसलर, एल्पाइन पब्लिक स्कूल, नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
जब भी ज़िंदगी की राहों में थकान महसूस होती है,
सबसे पहले आपका चेहरा आँखों के सामने आ जाता है।
आपने मुझे बचपन से सिखाया कि मेहनत करो,
सच का साथ दो और अपने सपनों से कभी हार मत मानो।
आज जब मैं अपने रास्ते खुद बना रही हूँ,
तो हर पल आपकी दुआएँ और आपके संस्कार साथ हैं।
आपके बिना तो मैं शायद आधी भी न होती जो आज हूँ,
माँ, आप ही मेरी सबसे बड़ी ताक़त और सबसे बड़ा सहारा हैं।
कभी-कभी सोचती हूँ कि अगर भगवान मुझे फिर से जीवन दे,
तो मैं हमेशा आपकी ही बेटी बनकर जन्म लूँ।
आपके आँचल की छाँव से बड़ी कोई जन्नत नहीं।
शायरी:
माँ तूने जीवन को आसान बना दिया,
तेरे आँचल ने हर ग़म मिटा दिया।
तेरी दुआओं से है आज ये मुकाम,
तेरे बिना मेरा क्या है नामो-निशान।
तेरी गोदी ही मेरी जन्नत है माँ,
तेरे बिना अधूरी हर राहत है माँ।
तू है तो दुनिया में सब कुछ मेरा,
तेरे बिना लगे सूना बसेरा।