प्रो. रणजोध सिंह
हर वक्त संजीदा रहना
कोई अच्छी बात नहीं
खुलकर मुस्कुराया करो।
बारिशों का मौसम है
जनाब! कभी-कभी
थोड़ा भीग भी जाया करो।
माना इस जहाँ में
पूरी नहीं होती हमारी हर ख्वाईश
आप छोटी छोटी बातों को
दिल से न लगाया करो।
जो आपके पास है, वह भी कम नहीं
थोड़ा उस पर भी इतराया करो।
उसका फ्रिज
भरा रहता है लज़ीज़ मिठाइयों से
आप नाहक ही अपना मन न जलाया करो।
क्योंकि वह मधुमेह का रोगी है,
और आपके पास मां के हाथों की रोटी है
अमृत जानकर खाया करो।
रोनी सूरत न बदलेगी
आईनों के बदलने से
आप यू ही न मन भरमाया करो।
चहक उठेगा आईना भी
आईने के सामने ज़रा
ज़िन्दादिली से जाया करो।
बेरुखी इतनी भी ठीक नहीं
अपने चाहने वालों से
दिल के मरीज को यूं न सताया करो।
‘रणजोध’ तो है कब से मुरीद आपका
जनाब…!
थोड़ा इधर भी गौर फ़रमाया करो।