नीलम भट्ट, नई दिल्ली 

दुनिया परेशान है!
लड़कियों की बेबाक हॅंसी से
उनकी चाल की लचक से
उनकी आंखों की चमक से..
दुनिया परेशान है
लड़कियों के सपनों से
उनकी उमंगों की धूप से
उनके चमकते रूप से…
दुनिया चाहती है
दफ़न कर दे उनकी हॅंसी
पथरीली कर दे उनकी राहें
आंखों में भर दें कॉंटे…
दुनिया चाहती है
उड़ जाएं उनके सपनों के रंग
धूप उम्मीदों की कुम्हला जाए
लड़कियों के चेहरे पर फिर
कभी न दिखे ज़िंदगी की बहार।
दुनिया परेशान है, तो रहे
लड़कियां हॅंसेंगी और खूब हॅंसेंगी
और अपनी खिलखिलाहट से
गुंजा देंगी ज़मीन-आसमान…
दुनिया परेशान है तो रहे
लड़कियां चलेंगी लहराकर, झूमकर
अपने कदमों की लय-ताल से
झुका देंगी परबतों के माथे!

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