अनीश मिर्ज़ा

हिंदी हैं हम…
पर हिंदी की याद सिर्फ हिंदी दिवस को ही क्यूं आए…
यूं तो अक्सर लोग इंग्लिश में ही गुनगुनाए…
हिंदी बोलने वाले को आज भी अनपढ़ समझा जाये…
इंग्लिश बोलने से ही समाज में रुतबा बन जाये…
अंग्रेज़ों से आज़ाद हो गए पर इंग्लिश को गले लगाये हैं हम…
चीनी Chinese बोलता, जापानी Japnese बोलता और अंग्रेज़ बोले अंग्रेज़ी हर दम…
इक भारतीय है जो अपनी मात्रभाषा को बोलने में महसूस करे शर्म…
अब तो Whats App, Facebook पे अनपढ़ भी अंग्रेज़ी बोल धाक जमाए…
खुद को ना आती हो इंग्लिश किसी इंग्लिश बोलने वाले से अपना status इंग्लिश में ही लिखवाए…
आज के दौर में इंग्लिश भाषा का आना तो ज़रूरी है…
लेकिन हर वक़्त इंग्लिश बोलना कौन सी मजबूरी है…
क्या ये सिर्फ हिंदी से दूरी है…
या हिंदी दिवस पर ही हिंदी बोलना ज़रुरी है…
हिंदी हैं हम हिंदी है माँ बोली हमारी…
सम्मान करो इस भाषा का ये तो अपनों सी है प्यारी…
ये तो अपनों सी है प्यारी…
ये तो अपनों सी है प्यारी…
ये तो अपनों सी है प्यारी…

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