May 16, 2025

कृषि में क्रांति: हिमाचल में प्राकृतिक खेती को मिलेगा नया मुकाम

Date:

Share post:

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृ़ढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र पर विशेष बल दे रही है। प्रदेश के किसानों की आर्थिकी में सुधार और उन्हें उनकी उपज का सही दाम मिले इसके लिए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं, मक्की, कच्ची हल्दी और जौ फसलों पर देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। किसानों को रासायनों के बिना, कम लागत वाली प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए योजना के तहत प्रदेश में विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, किसानों को जागरूक करना और पर्यावरण अनुकूल टिकाऊ कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना है। इस अभियान के दौरान सरकार प्राकृतिक खेती पद्धति से उत्पादित गेहूं और कच्ची हल्दी की सरकारी खरीद प्रक्रिया को शुरू कर रही है। इसके अलावा पांगी क्षेत्र के प्राकृतिक खेती किसान-बागवानों द्वारा उत्पादित जौ की खरीद के लिए भी फार्म भरने शुरू किए गए हैं।

इसके अंतर्गत किसानों को उनकी उपज के लिए देशभर में सबसे अधिक समर्थन मूल्य प्रदान किया जाएगा। प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं ₹60 प्रति किलोग्राम और कच्ची हल्दी ₹90 प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी जाएगी। इस अभियान के दौरान प्राकृतिक खेती किसान गेहूं और कच्ची हल्दी के विक्रय के लिए फार्म भरकर कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अधिकारियों के पास जमा करवा सकते हैं।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि विशेष अभियान के दौरान किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को आर्थिक रूप से लाभदायक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 2 लाख 8 हजार किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए हैं और करीब 37 हजार हेक्टेयर भूमि पर रसायन मुक्त खेती की जा रही है।

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं और कच्ची हल्दी की सरकारी खरीद के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इसके लिए योजना की वेबसाइट पर विक्रय के फार्म अपलोड किए गए हैं, जहां से इच्छुक किसान आवेदन पत्र डाउनलोड कर अपने विकास खंड में तैनात कृषि विभाग की आतमा परियोजना के ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर और असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर के अलावा जिला परियोजना निदेशक, आतमा परियोजना से भी प्राप्त कर सकते हैं और भरने के उपरांत वहीं जमा भी करवा सकते हैं।

हेमिस नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार पूरे देश में प्राकृतिक खेती उत्पादों को सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है जिससे किसान-बागवान लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसान रासायनिक इनपुट पर होने वाले खर्च से मुक्त होकर उत्पादन लागत को न्यूनतम कर सकते हैं, जिससे लाभ अधिक होता है। साथ ही यह पद्धति मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने, जल संरक्षण करने और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद उपलब्ध कराने में सहायक है। यह एक दीर्घकालिक, टिकाऊ और पर्यावरण हितैषी प्रणाली है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसान समुदाय को सशक्त बनाती है।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

India to Launch Historic Space Biology Experiments Aboard ISS to Study Life Sustainability in Space

In a major scientific breakthrough, Union Minister Dr. Jitendra Singh announced that India will conduct its first-ever biological...

India Reaffirms Global Role as Custodian of Buddha’s Legacy on Vaishakha Buddha Purnima 2025

India is not just the land of Buddha’s birth—it is the steward of his universal message of non-violence,...

SJVN Share Price in Focus as Bikaner Solar Project Adds 78.23 MW

SJVN Limited, through its wholly owned subsidiary SJVN Green Energy Limited (SGEL), has marked another major milestone by...

पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय ठियोग का शत-प्रतिशत परिणाम | उपायुक्त अनुपम कश्यप ने दी बधाई

पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय ठियोग के चेयरमैन एवं उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने पीएम श्री जवाहर नवोदय...