डॉ. कमल के. प्यासा
बापू तेरे देश में
चली लड़ाई कुर्सी की!
कुर्सी कुर्सी कुर्सी,
कुर्सी बन गई खुद इक खेल!
गांव और कस्बे में कुर्सी
सांसद और परिषद में कुर्सी
रंग लिंग जाति भेद मिटा के
खूब रचा कुर्सी का खेल!
बापू ,किस ने बनाई है ये कुर्सी?
रात दिन, दिलों दिमाग में
रहती है ख्वाबों में कुर्सी
गद्देदार,मजेदार
काठ स्टील बैंत की कुर्सी।
कुर्सी बिन सब बेहाल,
कुर्सी कुर्सी कुर्सी
कुर्सी बन गई खुद इक खेल!
बापू ,क्या होगा देश का हाल?
देश विदेश गुमाए कुर्सी
चारा चीनी खाए कुर्सी
घोटाले खूब कराए कुर्सी
बैठा आयोग,
अभियोग खूब चलाए कुर्सी।
राशन दल दिलाए कुर्सी
घर बैठे बिल भुगताए कुर्सी
कुर्सी कुर्सी कुर्सी
कुर्सी बन गई खुद इक खेल!
बापू ,होती कैसी है ये कुर्सी?
इसके आगे जीरो हो जाते
क्या शिक्षक और मुंशी?
अंगूठा छाप तालीम चलते
देखने वाले देखते रहते,
टूचे गुंडे लगे कुर्सी,
बापू,इनके लिए बनी थी कुर्सी?