फूलों पर तितली का आना
कहता मौसम हुआ सुहाना
है मस्ती में आज भंबरा
छेड़ रहा है प्रेम तराना ।
पेड़ों पर हरियाली छाई
बसंत रितु सबके मन भायी
मोर पपीहा पीहू बोले
कली खिली बगिया मुस्काई।
हर मौसम लगता है प्यारा
इनके संग जीवन हमारा
कहीं नदी का मीठा पानी
कहीं समन्दर का जल खारा।
कुदरत का है खेल निराला
मौसम रूपी कैसी माला
कभी सर्दी, गर्मी, बरसात
कभी अंधेरा, फिर उजाला।