
रणजोध सिंह
उस दिन स्कूल में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह था, प्रधानाचार्य राम प्रकाश जी ने ओजस्वी भाषण देते हुए स्पष्ट किया, “लोग हमारी बातों से नहीं, हमारे आचरण से सीखते हैं, खासकर बच्चे तो सदैव हमारा अनुसरण करते हैं और हम से प्रेरित होकर वे स्वयं भी हम जैसा बनना चाहते हैं | अत: हमें ज्यादा उपदेश देने की आवश्यकता नहीं है अपितु हमारा आचरण उच्च कोटि का होना चाहिए|”
उनकी इस तहरीर पर खूब तालियां बजी, लोग-बाग वाह-वाह कह उठे |
अगले ही रोज मुझे उनसे कुछ काम पड़ गया, मैंने उनसे मिलने के लिए फोन मिलाया तो फोन उनके आठ वर्षीय बेटे ने उठाया | प्रसन्न होते हुए बड़ी मासूमियत से बोला, “अंकल पापा कह रहे हैं कि वो घर पर नहीं है |”
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