July 7, 2025

Tag: कविता

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बुलंदियां: डॉ. कमल के. प्यासा

  डॉ. कमल के. प्यासा बुलंदियां छूना ऊंचा उठाना, अच्छा लगता है खुद को, सब को! बुलंदियां बढ़ाती हैं, दूरियां और फासले! जिनसे पनपते हैं भरम...

बू : डॉo कमल केo प्यासा

बू गंदगी की गलने की सड़ने की चाहे हो दूषित खाद्यानों की या ऋणात्मक सोच विचारों की ! बू आ ही जाती है, अंतर...

तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा

क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए ! किसे बताऊं किसे सुनाऊं...

एक पहचाण: डॉo कमल केo प्यासा

हाऊं,कुण हाकैथी हाकियांहा हामुंझो किछ भी तथोग पत्ता नी ! मेरी पक्की परख पहचाण ,हाडकुआ री कोठरुआ मंज बंदएक जियुंदा हांडदा टपदाजगह जगह थुड खांदामाणु...

समस्या: डॉo कमल केo प्यासा

प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा ये समस्या है ,सब को ठन रही हैसमझता है हर कोईउलझन बड़ रही है,सिसकता रोताआंसू बहता ,बेचारा...

चेहरे से परदे जरूर हटाऊंगा: डॉक्टर जय अनजान

हम रहे हमेशा सादगी में,इंसानियत रहा हमारा गहना,कभी इतराए नहीं अपने कर्मो से,हमेशा सीखा है हमने प्रेम में बहना। तुम कहते हो कि मैं कुछ...

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