जड़ों का दर्द – रणजोध सिंह
महकते हुए हसीं गुल ने अपनी जड़ों से पूछातुम्हारा वजूद क्या है?जवां बेटे ने अपने बुड़े बाप से पूछाआपने मेरे लिए किया क्या है|?दरिया...
बू : डॉo कमल केo प्यासा
बू गंदगी की गलने की सड़ने की चाहे हो दूषित खाद्यानों की या ऋणात्मक सोच विचारों की !बू आ ही जाती है, अंतर...
काली बिल्ली: रणजोध सिंह की कहानी
उसे दिन मुझे नालागढ़ से अस्सी किलोमीटर दूर सोलन शहर में बस द्वारा एक आवश्यक मीटिंग में पहुंचना था| घर से बस स्टैंड का...
एक पहचाण: डॉo कमल केo प्यासा
हाऊं,कुण हाकैथी हाकियांहा हामुंझो किछ भी तथोग पत्ता नी !मेरी पक्की परख पहचाण ,हाडकुआ री कोठरुआ मंज बंदएक जियुंदा हांडदा टपदाजगह जगह थुड खांदामाणु...
दोस्ती का उपहार: डा० कमल के० प्यासा
शिमला से एम.फिल करने के पश्चात पंकज अपनी नौकरी में ऐसा रमा कि उसे अपने सभी संगी साथी भी भूल बिसर गए। आज बरसों...
सेवानिवृत्ति के बाद : रणजोध सिंह
सेवानिवृत्ति के बाददोस्त ने पूछासेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ करते हो?मैंने कहाअभी सेवानिवृत्त हुआ हूँनिवृत्त नहीं हुआ हूँदोस्त ने हँसते हुए पूछामेरा मतलब काम...