April 24, 2025

Tag: हिंदी कविता

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हमारी पहचान है हिंदी – कैप्टन (डॉo) जय महलवाल(अनजान)

हमारे माथे की जो है बिंदी,वो प्यारी शान है हिंदी,जिससे है हमारा अस्तित्व,वो गौरव और पहचान है हिंदी।हमारे दिल का सुकून है हिंदी,हमारे दिल...

तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा

क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए !किसे बताऊं किसे सुनाऊं...

नारी: मानविका चौहान का एक अद्भुत साक्षात्कार

सहमी आज क्यों यह नारी है,क्यों बन गई वह एक बेचारी है।कौन-सा अपराध करा उसने जन्म लेकर,यह तो दुनिया दुराचारी है।आज क्यों गृहस्थी में...

नदी: डॉ. कमल के. प्यासा

नदी हूं मैंमुझे बस स्वछंद हीबहने दो,मस्ती में इधर उधरखूब मचलने दो,जन जन की प्यास बुझाने दो,मत रोकोजैसे तैसे बस जाने दो...

एक पहचाण: डॉo कमल केo प्यासा

हाऊं,कुण हाकैथी हाकियांहा हामुंझो किछ भी तथोग पत्ता नी !मेरी पक्की परख पहचाण ,हाडकुआ री कोठरुआ मंज बंदएक जियुंदा हांडदा टपदाजगह जगह थुड खांदामाणु...

पैंतरा: डॉo कमल केo प्यासा की एक कविता

मौसम ने लीकरवट,गिरगिट ने रंगबदले !थाली के बैंगनबेपैंदे लोटे,सब लुढ़के,लुढ़कने लगे !छुट पुट बादलछटं गए सब,अंगड़ाई ली फिरमौसम ने !नहीं बदले गाक्या फिर कल...

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