लकीरें: एक कविता
डॉ. कमल के. प्यासा खड़ी पड़ी,आड़ी तिरछी,टेढ़ी मेढ़ी,आधी अधूरी,इधर उधर,यहां वहां,कहीं भी हों लकीरें। लकीरें,बांटती हैं,काटती हैं,तोड़ती (मिटाती),फोड़ती (गंवाती),दरारें डालती हैं! लकीरें कलम की, तलवार की,...
राजेश पाल की लिखी आक्रोश और प्रतिरोध की कविताएँ – पुस्तक समीक्षा
महेश पुनेठा
जीवन के अनुभवों से पैदा हुई गहरी पीड़ा और छटपटाहट उनकी कविताओं में अभिव्यक्त होती है, क्योंकि वह दृष्टा के अलावा भोक्ता भी...
कुर्सी (बापू से पूछे आवाम)
डॉ. कमल के. प्यासा बापू तेरे देश मेंचली लड़ाई कुर्सी की!कुर्सी कुर्सी कुर्सी,कुर्सी बन गई खुद इक खेल! गांव और कस्बे में कुर्सीसांसद और परिषद में...
Poem: Teacher’s Delight
Manvika Chauhan, Class: XI, Daisy Dales Senior Secondary School, East of Kailash, New Delhi My project is a monster it eats everything,
Whether it's...
यादें: एक कविता
डॉ. कमल के. प्यासा यादें
याद आती हैं
जाती नहीं,
याद ही रह जाती हैं
जिंदगी भर! यादें
यादों में रह कर
आती हैं सताती हैं,
कमबख्त तरह तरह की
फितरतें दिखा,
खूब...
जज़्बात और एहसास: डॉ. जय महलवाल (अनजान)
डॉ. जय महलवाल (अनजान) तुमने जब-जब, मेरा साथ दिया, एक प्यारा सा मखमली, एहसास दिया। रहे तुम दिल के करीब हमेशा, मेरा अपना बनकर, लेकिन...