दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, शिमला
घर भर में और आस पास
अपने से कमज़ोर दिखते उसे
बस अपने बच्चे
उधर सास ने जली कटी सुनाई
इधर किसी भी
न मालूम बात पर
बच्चे की शामत आई
पति शराब पी कर मारे तो
वह गुस्सा बच्चों के कोमल गालों पर उतारे
ठंड में घर भर के कपड़ो का ढेर धोने के बाद
बच्चों के कपड़ों में
हल्की सी भी मिट्टी लगी देख
फुंफकार उठती
बुरी तरह फफेड़ देती बच्चों को
मौका मिलते ही
नहलाती ऐसे कि
बाल ही उखाड़ देगी जैसे
कुछ ऐसे अपनी कुंठा और बेचारगी को
उतार दिया करती वह
अपनी ही औलाद के
तन मन पे…
हाँ ! एक वह भी है एक माँ …