September 6, 2025

पिता : डॉक्टर जय महलवाल द्वारा रचित एक कविता

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डॉक्टर जय महलवाल
डॉक्टर जय महलवाल

मां अगर घर की ईंट है,
तो पिता समझो पूरा मकान है।
मां अगर संस्कार देने वाली है,
तो पिता गुणों की खान है।
मां अगर अगर करती लाड प्यार है,
तो पिता भी हमारी जान है।
मां अगर देखती घर का काम काज,
तो पिता संभालता बाहरी काम काज है।
मां अगर बनाती घर में दाल रोटी,
तो पिता करता राशन का इंतजाम है।
मां का कर्ज़ उतरना मुश्किल है,
तो जय तुम ही बताओ क्या पिता का कर्ज़ उतारना आसान है।
मां अगर है पिक का एक पन्ना,
तो पिता पुस्तक समान है।

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