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प्यारी मम्मी: डॉo कमल केo प्यासा
मम्मी _मम्मी मेरी प्यारी मम्मीकब नानी के घर जाओगी ?
माल_पूड़ा और दाल कचौड़ीक्या इस बार नहीं बनाओगी ?
मम्मी मम्मी मेरी प्यारी मम्मीकब नानी के घर जाओगी ?
मोटर_टमटम ,ठेला गाड़ी परकब तुम...
वह हँसती क्यों है: रणजोध सिंह की लघुकथा
हर समय खिल-खिलाने वाली नंदिनी के बारे में कॉलोनी के लोग इतना ही जानते थे कि वह एक निजी कम्पनी में काम करती है और अकेली रहती है| वह न केवल...
पिता : डॉक्टर जय महलवाल द्वारा रचित एक कविता
मां अगर घर की ईंट है,तो पिता समझो पूरा मकान है।मां अगर संस्कार देने वाली है,तो पिता गुणों की खान है।मां अगर अगर करती लाड प्यार है,तो पिता भी हमारी जान...
अंतर : डॉ० कमल के प्यासा की भावनात्मक समीक्षा
मंगसरू के हाथ अभी भी मिट्टी से सने थे। वह जोर जोर से मिट्टी को गूंथते हुवे जमीन पर पटक रहा था।पिछले कई दिनों से न जाने उसने कितने ही मिट्टी...