Tag: संघर्ष
बू : डॉo कमल केo प्यासा
बू गंदगी की गलने की सड़ने की चाहे हो दूषित खाद्यानों की या ऋणात्मक सोच विचारों की !
बू आ ही जाती है, अंतर से फासले से स्तर बदल जाने से...
काली बिल्ली: रणजोध सिंह की कहानी
उसे दिन मुझे नालागढ़ से अस्सी किलोमीटर दूर सोलन शहर में बस द्वारा एक आवश्यक मीटिंग में पहुंचना था| घर से बस स्टैंड का रास्ता जो लगभग एक किलोमीटर था, पैदल...
एक पहचाण: डॉo कमल केo प्यासा
हाऊं,कुण हाकैथी हाकियांहा हामुंझो किछ भी तथोग पत्ता नी !
मेरी पक्की परख पहचाण ,हाडकुआ री कोठरुआ मंज बंदएक जियुंदा हांडदा टपदाजगह जगह थुड खांदामाणु जाती रा प्राणी,तेथी जेथी जेमाणु माणु जो...
दोस्ती का उपहार: डा० कमल के० प्यासा
शिमला से एम.फिल करने के पश्चात पंकज अपनी नौकरी में ऐसा रमा कि उसे अपने सभी संगी साथी भी भूल बिसर गए। आज बरसों बाद वह शिमला जा रहा था। सर्दी...
सेवानिवृत्ति के बाद : रणजोध सिंह
सेवानिवृत्ति के बाददोस्त ने पूछासेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ करते हो?मैंने कहाअभी सेवानिवृत्त हुआ हूँनिवृत्त नहीं हुआ हूँदोस्त ने हँसते हुए पूछामेरा मतलब काम क्या करते हो?मैंने कहादोस्त पूछो मतबस काम...
पिता : डॉक्टर जय महलवाल द्वारा रचित एक कविता
मां अगर घर की ईंट है,तो पिता समझो पूरा मकान है।मां अगर संस्कार देने वाली है,तो पिता गुणों की खान है।मां अगर अगर करती लाड प्यार है,तो पिता भी हमारी जान...
अंतर : डॉ० कमल के प्यासा की भावनात्मक समीक्षा
मंगसरू के हाथ अभी भी मिट्टी से सने थे। वह जोर जोर से मिट्टी को गूंथते हुवे जमीन पर पटक रहा था।पिछले कई दिनों से न जाने उसने कितने ही मिट्टी...
गरीबी से प्रोफेसर तक: रेहड़ी वाले बेटे ने रचा सफलता का किस्सा
हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा गत दिवस राजनितिक शास्त्र विषय का परिणाम घोषित किया गया ,जिसमें जिला कांगड़ा के नूरपुर गनोह निवासी विशाल सपुत्र मदन लाल ने सहायक आचार्य बनकर...