October 20, 2025

आज का ब्रह्मास्त्र: रणजोध सिंह की लघु कथा में संदेश

Date:

Share post:

आज का ब्रह्मास्त्र: रणजोध सिंह की लघु कथा में संदेश
रणजोध सिंह

कीर्तन-मंडली पूरे उत्साह से भजन-कीर्तन कर रही थी| सारी संगत भी श्रद्धा पूर्वक कीर्तन का रसास्वादन कर आत्मविभोर हो रही थी यानि सारी फ़िजा में भक्ति का सुरूर था| श्रद्धालु आते, ईश्वर के सामने नतमस्तक होते, अपने-अपने दुखों के निवारण की याचना करते, सामने पड़े दानपात्र में कुछ रूपये दान करते और फिर सुखासन में बैठकर भजन-कीर्तन श्रवण करने लगते|

इतने में एक छोटी सी चार-पांच वर्ष की बच्ची उठी, और बिना किसी डर और संकोच से कीर्तन-मंडली के सामने ही खेलने लगी| शायद भजन-कीर्तन में उसकी कोई रूचि नहीं थी या बड़े लोगों की भांति वह आंखे बंद कर ईश्वर के साथ अपना तारतम्य न तो जोड़ पा रही थी और न ही जोड़ने का नाटक कर पा रही थी| वह कभी दानपात्र के पास पहुंच जाती और उसके ऊपर पड़े हुए नोटों को उठाकर खेलने लगती, कभी भागकर कीर्तन-मंडली के पास पहुंच जाती और उनके हारमोनियम को छू कर ख़ुशी से चीख कर ऐसे किलकारी मारती जैसे परमात्मा के परम भक्त को साक्षात परमात्मा मिल गया हो|

कभी हंसते हुए अपने पापा के पास पहुंच जाती और फिर अगले ही क्षण महिलाओं में बैठी हुई अपनी मां के पास पहुंच जाती| कभी जोर-जोर से हंसते हुए अपनी मां को अपने संग खेलने का आग्रह करने लगती तो कभी अपने पापा की बाजू पकड़ बाहर जाने की जिद्द करती| बच्ची के इस व्यवहार से कीर्तन-मंडली और वहां उपस्थित ईश्वर के भक्तों का नाराज होना लाज़मी था मगर इस उपक्रम में जो शख़्स सबसे ज्यादा परेशान हो रहा था, वह थी बच्ची की मां, क्योंकि जितनी बार बच्ची दानपात्र के पास जाती, मां उसे पकड़ कर अपने पास ले आती, वह जितनी बार इधर-उधर शरारत करती, उसकी मां ही उसे ऐसा करने से रोकती थी|

वह उसे शांत करने के लिए लगातार मान-मनुहार कर रही थी परंतु सब बेकार, बच्ची मानने का नाम नहीं ले रही थी| तंग आकर जब उसने बच्ची को डांटने का प्रयास किया तो वह ऊंचे स्वर रोने लगी| इस बीच कीर्तन-मंडली के सदस्य व अन्य भक्तगण बच्ची की मां को ऐसे देख रहे थे जैसे वह कोई अपराधी हो| मां ने एक बार फिर उससे प्यार से दुलारा, पुचकारा अपनी गोद में बिठाया मगर अगले ही क्षण उसने फिर उधम मचाना आरंभ कर दिया|

अंत में दुखी होकर मां ने बच्ची को शांत करने के लिए अपने अनुभव के तरकश से आज के युग का ब्रह्मास्त्र निकाल, उसका प्रयोग अपनी बच्ची पर कर दिया यानि अपने मोबाइल में वीडियो गेम लगाकर बच्ची के हाथ में दे दिया| बच्ची मोबाइल लेकर एक कोने में ऐसे बैठ गई जैसे उसका कोई अस्तित्व ही न हो|

आज का ब्रह्मास्त्र: रणजोध सिंह की लघु कथा में संदेश

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

रोहित ठाकुर ने कोट काईना और जुब्बल में किया लोकार्पण

हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज अपने गृह क्षेत्र जुब्बल के कोट काईना पंचायत में...

राजीव गांधी योजना से हरित रोजगार की उड़ान

हिमाचल प्रदेश सरकार की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना ने प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की नई...

Diwali at Bal Ashram: CM Shares Joy with Children

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu celebrated the festival of Diwali with children at the Tutikandi Bal Ashram...

Government Unveils ₹3,000 Cr Tribal Welfare Scheme

In a significant stride towards inclusive growth, the Himachal Pradesh Government has fast-tracked tribal development by investing over...