डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

बज रहे है ,बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

रंग बिरंगे परचम पोस्टर
उठाए बेकार हाथों ने
जोर जोर से लगाते नारे
घूमते गली कूचे बाजारों में !

बज रहे हैं,बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

खिल उठे हैं चेहरे
काम मिला है
आया चुनाव
खुशी खिली है मौसम में !

बज रहे हैं ,बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

भारी भरकम मोटे ताज़े
झोटे भिड़े गे,भिड़ते रहे गे
भेडू बकरू मुर्गे उड़ें गे
बे मौत बेचारे खूब मारें गे
इस चुनाव के इस मौसम में !

बज रहे हैं,बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

वोट की खातिर कारगुजरी
झूठे वादे नोट उड़े गे
रूके अटके जुगाड़ बने गे
जोड़ तोड़ खूब चलें गे
इस चुनाव के दंगल में !

बज रहे हैं, बजने लगे है भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

नई सुर्खियां कुछ अखबारों में
कुछ चिपकाई जाएं गी दीवारों में टीका टिपनियां और वादे भी!

खूब छपे गे और रचे गे भी
चटकीले छैल छबीले रंगों में !

बज रहे हैं,बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

जागो उठो वक्त आया है
वरना फिर ठगे जाओ गे
चाटुकारी इनकी बातों से
यकीन नहीं ,नहीं बच पाओगे
इनकी लीपा पौती से !

बज रहे हैं, बजने लगे हैं भोंपू
चुनाव के इस दंगल में !

चुनाव का दंगल: डॉo कमल केo प्यासा

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