पारुल अरोड़ा
श्रीखण्ड सदा अखण्ड
रणसिंघा करनाल चिमटा
मंजीरा ढोल मृदंग
डम डम डमरू बाजे निरमण्ड
बद्ध मुमुक्षु गृहस्थ देव
संन्यासी साधु संत
भक्त अनंत
जाओं सिंहगड़ थाचड़ु काली धाटी
चड़ बड़ शिव गण
भूतनाथ गिरिश्वर भुजंग भूषण भस्माद्धूलितविग्रह
अज अहिर्बुधन्य पाशविमोचन पंचवक्त्र
तेरे संग संग
भीम ड्वार कर ग्रहण प्रसाद
रात्रि विश्राम पार्वती बाग
शिवाप्रिय ब्रह्म मुहूर्त ब्रह्म नाद
नैन सरोवर शैल तुंग गिरी हिम खण्ड
खड़े पर्वत-पहाड़
जप-तप ॐ नमः शिवाय
समक्ष तेरे
श्रीकण्ड श्रीखण्ड
विपुल विशाल विराट
कर दंडवत प्रणाम
लगा ध्यान जो है
वृषमारूढ़ शशिशेखर कामारी गंगाधर
कपाली त्रिलोकेश स्वरमयी महाकाल