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September 30, 2023

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ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

दो सहेलियाँ — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह बहुत कम लोग होते हैं जो अपने बचपन के दोस्तों के साथ ताउम्र रिश्ता बनाये रखते हैं, खासतौर पर लडकियाँ | लेकिन पाखी और महक इस का अपवाद थी |...

गणित दोस्ती का — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह अंकित रात भर सो ना पाया था | मस्तिष्क में स्मृतियाँ किसी चल चित्र की भांति चल रही थीं | उसने देखा राजू उसका सबसे प्रिय मित्र है, जिसके साथ...
खिल सकते है दबे हुए मसले हुए फूल शर्त ये है उन्हें सिने से लगाना होगा|

रोटी माँ के हाथ की — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह श्यामली के बार-बार समझाने पर भी उसका पति निखिल अंतिम समय तक अपने बुजुर्ग माँ-बाप को यह न बता पाया कि वह सदा-सदा के लिए विदेश जा रहा है |...
खिल सकते है दबे हुए मसले हुए फूल शर्त ये है उन्हें सिने से लगाना होगा|

शिष्टाचार — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह भोला राम जिसे प्यार से गाँव के सभी लोग भोलू कहकर पुकारते थे, आरम्भ से ही न केवल कुशाग्र बुद्धि का स्वामी था अपितु अत्याधिक मेहनती भी था | यही...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

संतुलन — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह शिमला जैसे सर्द शहर में, सर्दी की परवाह किये बगैर विनय अपने कमरे में बठकर कंप्यूटर के साथ माथा-पच्ची कर रहा था जबकि उसकी पत्नी और बच्चे बाहर खिली हुई...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

खुशियों की चाबी — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह श्याम प्रसाद जी अपने तीनों पुत्रों, पुत्र-वधुओं तथा पोते-पोतियाँ संग सड़क पर खड़े होकर अपने भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे |...

“आज़ाद हवायें” — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह बेशक तुम आज़ाद हवाओं में साँस लेते हो| मन चाहा खाते हो मन चाहा पीते हो| नहीं गुलाम किसी तानाशाह के लोकतंत्र की छांव में अपनी मर्जी से जीते हो| मगर याद रखना ऐ दोस्त यहाँ कुछ भी चीज़...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

उड़ान — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह विवाह के लगभग तीन साल बाद केसरो अपने गांव की सबसे सुघड़ महिला जिसे सभी लोग प्यार से ‘मौसी’ कहते थे, से मिलने आई थी | अकसर बेटियाँ विवाह उपरांत...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

आचरण — लघु कथा; रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह उस दिन स्कूल में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह था, प्रधानाचार्य राम प्रकाश जी ने ओजस्वी भाषण देते हुए स्पष्ट किया, “लोग हमारी बातों से नहीं, हमारे आचरण से सीखते हैं,...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

अभाव की राजनीति (बाल कहानी) — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह सिद्धार्थ जी, यूं तो सरकारी स्कूल में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक थे, मगर फिर भी गांव के लोग उन्हें मास्टर जी तथा बच्चे गुरु जी कहकर ही पुकारा करते थे...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

उपहास (कहानी) — रणजोध सिंह

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रणजोध सिंह मई का महीना था| शिमला का माल रोड सदा की भांति सैलानियों से भरा हुआ था| कंबरमियर पोस्ट ऑफिस के पास इंदिरा गांधी युवा खेल परिसर में सैलानियों को आकर्षित...
ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

ज़िंदगी – (मंडयाली नक्की कहाणी)

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मूल लेखक: प्रो. रणजोध सिंहअनुवादक : जीवन धीमान, नालागढ़ दो जवान मित्र अपणे मोटर साइक्ला पर बैठी कने हवा ची गलां करने लगी रे थे| किती जाणा था ? ……. पर...