July 6, 2025

Tag: रणजोध सिंह

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संतुलन — रणजोध सिंह

रणजोध सिंह शिमला जैसे सर्द शहर में, सर्दी की परवाह किये बगैर विनय अपने कमरे में बठकर कंप्यूटर के साथ माथा-पच्ची कर रहा था जबकि...

खुशियों की चाबी — रणजोध सिंह

रणजोध सिंह श्याम प्रसाद जी अपने तीनों पुत्रों, पुत्र-वधुओं तथा पोते-पोतियाँ संग सड़क पर खड़े होकर अपने भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए...

“आज़ाद हवायें” — रणजोध सिंह

रणजोध सिंह बेशक तुम आज़ाद हवाओं में साँस लेते हो| मन चाहा खाते हो मन चाहा पीते हो| नहीं गुलाम किसी तानाशाह के लोकतंत्र की छांव में अपनी मर्जी से जीते हो| मगर...

उड़ान — रणजोध सिंह

रणजोध सिंह विवाह के लगभग तीन साल बाद केसरो अपने गांव की सबसे सुघड़ महिला जिसे सभी लोग प्यार से ‘मौसी’ कहते थे, से मिलने...

आचरण — लघु कथा; रणजोध सिंह

रणजोध सिंह उस दिन स्कूल में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह था, प्रधानाचार्य राम प्रकाश जी ने ओजस्वी भाषण देते हुए स्पष्ट किया, “लोग हमारी बातों...

अभाव की राजनीति (बाल कहानी) — रणजोध सिंह

रणजोध सिंह सिद्धार्थ जी, यूं तो सरकारी स्कूल में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक थे, मगर फिर भी गांव के लोग उन्हें मास्टर जी तथा बच्चे...

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