भीम सिंह, गांव देहरा, डाकखाना हटवाड़, उप-तहसील भराड़ी, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

इस देश के बाशिंदों ने
बहुत कष्ट सहे थे
सदियों गुलामी की जंजीरों में
बुरी तरह जकड़े गये थे ।

कभी मुगलों ने, कभी अंग्रेजों ने
यहां बहुत जुल्म ढाए थे
जिसके कारण यहां की जनता ने
खून के आंसू बहाए थे ।

आज हम आजाद हैं
शूरवीरों की कुर्बानी से
अब अगर हम इसे खोयेंगे
तो सिर्फ अपनी नादानी से ।

खून वहा था वीरों का
तब हमने आजादी पाई थी
आजादी के लिए लंबे समय तक
हमने लड़ी लड़ाई थी ।

आज तुम आजादी का जश्न मनाओ
मगर इस बात का रखो ध्यान
आज भी इस देश के अंदर
छुपे बैठे हैं गद्दार और बेईमान ।

यदि सदियों तक अपनी आजादी
हमें रखनी है बरकरार
तो दुश्मनों से हमें हमेशा
रहना पड़ेगा सावधान ।

अपनी तरक्की को देखकर
तुम अहंकार में मत आ जाना
आजादी पाने से भी मुश्किल
होता है आजादी को बचाना ।

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