भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

बहती नदिया से मैने पूछा
कहां तुम्हारी मंजिल है
धैर्य दृढ़ता से वह बोली
जाना जहां समन्दर है।

मंजिल तुम्हारी दूर बहुत है
कैसे वहां तक पहुंच पाओगी
देखकर राह की कठिनाइयां
कहीं राह में तो नहीं ठहर जाओगी।

राह मे लाख बाधाएं आये
मैं नहीं घबराती हूं
प्रिय मिलन को मैं चली हूं
इसलिए इठलाती हूं।

जब तक समंदर से मिल न जाऊं
मेरी प्रीत अधूरी है
इस संसार के हित के लिए
हमारा मिलना बहुत जरूरी है।

 

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