डॉ. जय महलवाल (अनजान)
तुमने जब-जब,
मेरा साथ दिया,
एक प्यारा सा मखमली,
एहसास दिया।
रहे तुम दिल के करीब हमेशा,
मेरा अपना बनकर,
लेकिन कभी तुमने इसका,
किसी से एतराज़ नहीं किया।
क्या हुआ अगर तुम अब,
मुझसे बात नहीं करते,
अगर समय भी हो तब भी,
कोई मुलाकात नहीं करते।
कैसे समझाऊं,
अपने दिल को,
मोहब्बत है बेशुमार अब भी,
लेकिन अब वो जज्बात नहीं झलकते।
Thank you so much