आईना: डॉo कमल केo प्यासा
मूक हूं जड़ हूं,चेतन नहीं !देखता हूं दिखता हूं,बोलता नहीं !सच सच कहता हूंझूठ कभी बोला ही नहींसच ही बताता हूं !जैसा जैसा पाता...
भूख : जीवन की अद्वितीयता और चुनौतियाँ पर डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासाभूख, कैसी भी हो मिटती नहीं ,मुकती नहीं,बढ़ती है मरती नहीं,तड़पाती है और डालती है खलल, अक्सर...
भेड़ें : डॉo कमल केo प्यासा
नर या मादाकाली या सफेददोनों ही मैं मैं करती हैं।नादान कट जाने से पहलेखुद ही सिर आगे करती हैं !भेड़ें ऐसे ही मरती हैं...
दौड़ विकास की : डॉo कमल केo प्यासा
हो रहा हैछलनी छलनीसीना धरती का,नदी कापहाड़ का !जंगलबने मैदान ,पेड़ों का मिटा निशान !बिगड़ा संतुलन,पशु पक्षीसब चुप चापउदास और निराश !क्योंकि, बेजान हैं,बेजुबान...