Tag: समाज
आधुनिक भारत की नारी: डॉक्टर जय अनजान
हिंद देश की नारी हूं,वंदन से है मेरी पहचान,सब रिश्ते हैं मेरी वजह से,यही तो है मेरी पहचान।मत करना भूल समझ के मुझको अबला,मैं आधुनिक भारत की नारी हूं,देश के लिए...
वह हँसती क्यों है: रणजोध सिंह की लघुकथा
हर समय खिल-खिलाने वाली नंदिनी के बारे में कॉलोनी के लोग इतना ही जानते थे कि वह एक निजी कम्पनी में काम करती है और अकेली रहती है| वह न केवल...
आईना: डॉo कमल केo प्यासा
मूक हूं जड़ हूं,चेतन नहीं !देखता हूं दिखता हूं,बोलता नहीं !सच सच कहता हूंझूठ कभी बोला ही नहींसच ही बताता हूं !जैसा जैसा पाता हूंवैसा वैसा उगल देता हूं !
हक अधिकार...
भूख : जीवन की अद्वितीयता और चुनौतियाँ पर डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
भूख, कैसी भी हो मिटती नहीं ,मुकती नहीं,बढ़ती है मरती नहीं,तड़पाती है और डालती है खलल, अक्सर नीद में !
भूख, पाटने को गांठने कोआदमी...