December 22, 2024

Tag: bards of hills

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लकीरें: एक कविता

डॉ. कमल के. प्यासाखड़ी पड़ी,आड़ी तिरछी,टेढ़ी मेढ़ी,आधी अधूरी,इधर उधर,यहां वहां,कहीं भी हों लकीरें। लकीरें,बांटती हैं,काटती हैं,तोड़ती (मिटाती),फोड़ती (गंवाती),दरारें डालती हैं!लकीरें कलम की, तलवार की,...

उल्कापात कमांए: एक कविता

डॉ. जय महलवाल (अनजान)बड्डिया मेहनता ने डाल बूटे लगाए, फेरी किस मांहनूए रिए सोचे से जलाए, मारी ते जले पंछी पेखेरू, तिना रे  जे...

कुर्सी (बापू से पूछे आवाम)

डॉ. कमल के. प्यासाबापू तेरे देश मेंचली लड़ाई कुर्सी की!कुर्सी कुर्सी कुर्सी,कुर्सी बन गई खुद इक खेल!गांव और कस्बे में कुर्सीसांसद और परिषद में...

Poem: Teacher’s Delight

Manvika Chauhan, Class: XI, Daisy Dales Senior Secondary School, East of Kailash, New DelhiMy project is a monster it eats everything, Whether it's...

लेखिका सविता बंटा के काव्य संग्रह पगडंडियां का विमोचन

शिमला: मोहित चावला, डीआईजी साइबर क्राइम हिमाचल प्रदेश ने जून 9 को ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन के नृत्य एवम् नाट्य प्रतियोगिता कार्यक्रम के अन्तर्गत ...

यादें: एक कविता

डॉ. कमल के. प्यासायादें याद आती हैं जाती नहीं, याद ही रह जाती हैं जिंदगी भर!यादें यादों में रह कर आती हैं सताती हैं, कमबख्त तरह तरह की फितरतें दिखा, खूब...