बचपन के वो स्वर्णिम दिन — फादर्ज डे पर संस्मरण
डा. हिमेन्द्र बाली, साहित्यकार व इतिहासकार, कुमारसैन, शिमलाजीवन में संस्कार का संचरण माता-पिता के आचरण और शिक्षा से सम्भव हो सकता है. पिता...
नारकण्डा स्कूल में विश्व पर्यावरण दिवस व शिक्षा संवाद पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
डा. हिमेन्द्र बाली, प्राचार्य नारकण्डाविश्व पर्यावरण दिवस पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारकण्डा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये. इस अवसर पर्यावरण का संदेश...
आज के अवसादग्रस्त व तनावपूर्ण समय में हम आत्मनिष्ठ अनंत शक्तियों के उत्थान के प्रति अनभिज्ञ बने बैठे — डा. हिमेन्द्र बाली
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारकण्डा में परम पुज्य माताजी निर्मला देवी के सहज योग का अभ्यास विद्यार्थियों, अध्यापक और स्थानीय लोगों ने सामूहिक रूप...
सतलुज घाटी के सोमाकोठी का वैशाख उत्सव: बीशू — डा. हिमेन्द्र बाली
डा. हिमेन्द्र बाली, इतिहासकार व साहित्यकार, नारकण्डा, शिमला सुकेत क्षेत्र की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि समृद्ध और वैभवपूर्ण रही है. सतलुज घाटी में स्थित सोमाकोठी गांव मण्डी...
सुयोग्य वर प्राप्ति की मनोकामना से जुड़ा है सुकेत का लाहौल मेला
डा. हिमेन्द्र बाली, नारकण्डा, शिमला, हि.प्र.सुकेत क्षेत्र की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वैदिक परम्पराओं एवम् धर्मनिष्ठ उत्सवों का सम्पुट रूप है l यहां के लोकमानस का...
पांगणा में डा. हिमेन्द्र बाली की मण्डी-सुकेत पर आधारित शोधपरक पुस्तक का लोकार्पण
पांगणा पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में स्थित सुकेत रियासत का धरोहर गांव रहा है जहां भार्गव परशुराम व पाण्डवों के हिमालय में विचरण की अनेक...