भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

आसमान से बादल झमाझम बरस रहे थे। मैं छाते से अपने आप को ढकता हुआ सड़क के किनारे-किनारे होता हुआ घर की तरफ जा रहा था। सड़क में पड़े गढे़ पानी से भर गये थे। गाडि़यां सडक पर आ-जा रही थी। मैं पूरी कोशिश में था कि उन गाड़ियों के छींटे मेरे ऊपर न पड़े। मगर तभी एक गाड़ी पूरी रफ्तार से आई और मुझे पूरी तरह भिगो कर आगे निकल गई । मैं उस गाडी वाले की लापरवाही पर बहुत दुखी हुआ। क्योंकि कीचड़ वाले पानी से मुझे भिगोकर वह चला गया था। मैं अभी खड़ा होकर अपने कपड़ों से उसे साफ कर ही रहा था कि तभी एक दूसरी गाड़ी आ गई । उसने जैसे ही मुझे देखा तो अपनी गाड़ी की रफ्तार इतनी कम कर दी कि जिससे कोई पानी का छींटा मुझ पर न पड़े। यह सब देखकर मैं सोचने लगा कि इस संसार में इंसान -इंसान में कितना अंतर है। एक वह जो मुझे लापरवाही से भिगो कर चला गया और दूसरा वह जिसने मेरी परेशानी को समझा तथा अपनी गाड़ी की रफ्तार कम कर दी।

 

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