दिनेश भारती
दो दिवस पहले विश्व पर्यावरण दिवस के दिन शिमला के गेयटी केनफ्रेंस हाल में मेरे आदरणीय गुरु श्रीमती विद्यानिधि जी की कहानी पुस्तक “बदला मौसम बदल गए हम” का आदरणीय विद्वान जनों द्वारा विमोचन किया गया । कहते हैं कि मंजिल की राहों में कांटे न हो ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। राहें चाहे फूलों से भरी ही क्यों न हो कांटे अपने होने का अहसास करा ही देते हैं। किसी चीज़ की शुआत करना सरल या कठिन हो सकता है परन्तु उससे उसके आखिरी अंजाम तक पहुंचाने का सफर सदा कठोर परिश्रम से भरा रहता है।
इस पुस्तक की हर प्रक्रिया से लेकर छापने में विद्यानिधि जी को लगभग एक वर्ष से भी अधिक का समय गया । विद्यानिधि जी ने जितनी अधिक मेहनत इसके लिए की उसमें मैं तो सिर्फ एकमात्र छोटा सा ही सहयोगी रहा हूं। इस पुस्तक में कहानियों के कुछ सुंदर चित्र मेरे गुरु ने भी बनाए है इसलिए मेरी नजरों में वे भी एक बहुत बड़े चित्रकार हैं । कहते हैं कि बिना किसी छलकप्ट और सच्चे मन से की गई मेहनत का फल जब मिलता है तो उसकी खुशी के रंग इंद्रधनुष के रंगों से भी सुनहरे होते है। एक छोटी सी खुशी भी गागर में सागर के समान होती है जो आज खिल उठी है। श्रीमती रमा सोहनी जी को तो मैंने कभी नहीं देखा परंतु जिस प्रकार विद्यानिधि जी से उनके बारे में सुनने को मिला है उससे ऐसा लगता है कि वे भी मेरे गुरु की तरह ही कोमल हृदय व अतिसुंदर व्यक्तित्व वाली हैं।
एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि जो व्यक्ति किस्से कहानियों या किताबों में याद किया जाने लगे वे कभी नहीं मरता बल्कि हमेशा के लिए अमर हो जाता है। आज मैं भी एक भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ गया हुं। यह मेरे लिए एक बहुत बड़े सौभाग्य की बात है। आज मैं यहां तक आया हु तो ये केवल मेरे पूज्या गुरु श्रीमती विद्यानिधि छाबड़ा जी के कारण ही हूं । मुझे आपने आज नाम दिया है इसके लिए मैं जीवन पर्यंत तक इनका धन्यवादी रहुगा ।
समारोह में उपस्थित विद्वान जनों व प्यारे प्यारे नन्हें पाठकों से मुझे जीवन की कई मुख्य बातों को सीखने का सुअवसर मिला। नन्हें पाठकों की जिज्ञासा व उनके जिज्ञासु प्रश्नों ने इन कहानियों के कई नए अर्थ सामने लाकर रख दिए । आज मुझे जो प्रतीत होता है कि जो जिज्ञासा व उत्सुकता हमारे समय में हम में रही वो इस डिजिटल जमाने में आज के बच्चों में एक ऊंचे स्तर पर है। नन्हें बच्चों की उत्सुकता को एक सही दिशा, सही मार्गदर्शन में, किताबों के सच्चे ज्ञान से प्रकृति के साथ जोड़ा जाए तो आने वाले कल में बिगड़ती पर्यावरण की स्थिति को बचाने के लिए हमें नए योद्धा मिल जायेगे। मुझे लगता है ये पुस्तकें नन्हें पाठकों के कोमल हृदय में प्रकृति के प्रीति प्रेम और सद्भावनाओं की नीव डालती है और बड़ो में एक दूजे के प्रति खत्म हो रहे प्रेम भाव, इंसानियत और प्रकृति में जीवों के प्रति खत्म होती प्रेमभावनाओं की नीव को जीवित रखने का प्रयास करती हैं।
आज एक लेखक अपनी कहानियों व कविताओं के माध्यम से इस संपूर्ण चराचर जगत की सुंदरता को बचाने में रात दिन लगा है। विद्वान जनों द्वारा जो प्राप्त हुए संस्कार, जीवन की असली सच्चाई, उपदेश व मूल मंत्र नन्हें पाठकों के साथ मुझे भी जीवन में सही दिशा सही मार्ग व सही फैसला लेने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।
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