अनुकृति रंगमंडल कानपुर द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग, हि.प्र. शिमला के सहयोग से आयोजित गेयटी थिएटर फेस्टिवल में आज दो कलाकारों ने बेहतरीन नाटक ज़हर का मंचन किया। नाटक प्रेम विवाह करने वाले युगल के वास्तविक जीवन में आने वाली जटिलताओं को दिखाता है। किस प्रकार एक व्यक्ति अपने जीवन में एक मुकाम हासिल करने के लिये संघर्ष करता है परन्तु पारिवारिक जीवन की कटुताओं एवं अपने दो बच्चों को खो देने के कारण इतना निराश हो जाता है कि अपनी पत्नी की हत्या करने को तैयार हो जाता है। व्यक्ति इन्टरनेट पर खोजबीन करके एक केमिस्ट के पास विशेष जहर खरीदने जाता है। कैमिस्ट बातचीत में उससे उगलवा लेता है कि वो अपनी पत्नी को मारने के लिये ज़हर खरीदना चाहता है। केमिस्ट बहरा है, जिससे नाटक में हास्य का पुट बराबर बना रहता है। ” मैं ज़हर का सौदागर हूँ, मगर आदमी को नहीं आदमी के अंदर के ज़हर को मारने की कीमत लेता हूँ ” जैसे संवाद दर्शकों को बांधने में सफल रहे। महेंद्र धुरिया व प्रवीन अरोड़ा का अभिनय बेहतरीन रहा। मंच व्यवस्था विजय भास्कर, शिवेन्द्र, दिलीप ने संभाली। निर्देशन सहयोग व संगीत शुभी मेहरोत्रा का था। लेखक पंकज सोनी, निर्देशक प्रवीन अरोड़ा एवं प्रकाश परिकल्पना कृष्णा सक्सेना की रही।नाट्य संध्या का दूसरा और महत्वपूर्ण नाटक मुख्यमंत्री

सत्ता की लालसा से चढ़ रही लोकतांत्रिक मूल्यों की बलि गेयटी थिएटर फेस्टिवल में दूसरे दिन नाटक मुख्यमंत्री का मंचन समकालीन राजनीति पर तीखा व्यंग्य शिमला, शुक्रवार 19 नवंबर। वर्तमान में राजनीतिज्ञ अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए किसी भी प्रकार का समझौता करने से नहीं चूकते। भले ही लोकतांत्रिक मूल्यों की बलि चढ़ानी पड़े। अनुकृति रंगमंडल कानपुर व भाषा एवं संस्कृति विभाग, हि. प्र. के सहयोग से आयोजित नाट्य समारोह में आज शुक्रवार को कलाकारों ने ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में नाटक मुख्यमंत्री के माध्यम से समकालीन राजनीति पर तीखा व्यंग्य किया। लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाये रखना मुख्यमंत्री के लिए कितना चुनौतीपूर्ण है। नाटक मुख्यमंत्री में इसे बखूबी रेखांकित किया गया। नाटक के केन्द्रीय पात्र मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी के आदर्शों को आत्मसात किया लेकिन आजादी के बाद वह क्रूर यथार्थ देखते हैं। आर्थिक कारणों से अपने विवेक से समझौता करने वाली उनकी पत्नी विजया तथा बेटा सुरेश, पिता की सत्ता को ठुकरा कर एक उग्रवादी दल के नेता बन चुका बड़ा बेटा समीर, घूसखोरी और जोड़ तोड़ कर सत्ता में किसी भी प्रकार बने रहने वाले पार्टी के सत्ताधीश इन सब से मुख्यमंत्री को अकेले ही जूझना पड़ता है। नागनाथ जैसे धनपति मोनिका को मोहरा बनाकर मुख्यमंत्री को खरीदने की कोशिश करते हैं।

इन सबके बीच मुख्यमंत्री की सेक्रेटरी सोनिया है, जो उनके दुख दर्द को समझने के साथ ही उन्हें मानसिक सुकून भी प्रदान करती है। * प्रमुख भूमिकाओं में दीपक राज राही (मुख्यमंत्री), आरती शुक्ला (सोनिया), विजय भास्कर (गांधी जी), सुरेश श्रीवास्तव (चंद्रभान- वन मंत्री / बूढ़ा), जॉली घोष (विजया), शिवेन्द्र त्रिवेदी (सुरेश/ज्योतिष), तुषार (समीर), महेंद्र धुरिया (पार्टी प्रदेश अध्यक्ष), दिलीप सिंह सेंगर ( नेता विरोधी दल ), सुमित गुप्ता (नागनाथ), दीपिका सिंह (मोनिका), श्रेया बनोदिया (गंगा), महेश जायसवाल (विधान सभा अध्यक्ष), शिवी बाजपेयी (चित्रा मालवणकर) ने अपने चरित्रों को जीवंत किया। नरेन्द्र सिंह राजपूत, राजा राम राही, आकाश शर्मा, विकास राय, कुशल गुप्ता, शिवम आर्या का अभिनय भी बेहतरीन रहा।* *मंच व्यवस्था आकाश, अलख त्रिपाठी ने संभाली। सलाहकार निर्देशक, प्रकाश परिकल्पना कृष्णा सक्सेना की और निर्देशन व संगीत डा. ओमेंद्र कुमार का रहा।* कल होगा नाटक :मैं मनोहर सिंह हूँ तीन दिवसीय गेयटी थिएटर फेस्टिवल के तीसरे एवं अंतिम दिन दिनांक 20 नवंबर 2021 को ऍक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन कुळू द्वारा नाटक “मैं मनोहर सिंह हूँ” का मंचन सांय 5 :30 बजे किया जाएगा जिसमें अभिनय व निर्देशन राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादेमी नई दिल्ली से उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित केहर सिंह ठाकुर का होगा।

 

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