काव्य वर्षा, ज्वाली, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
हिंदी और औरत में अंतर क्या है
जब भरी हों आँखें फिर समुन्दर क्या है
औरत को घर में सजाया जाता है
देवी कह-कह के, मर्यादा की गांथों में
फसाया जाता है
फिर कभी रसोई या कमरे में
रुलाया जाता है।
इसके कल का मंजर क्या है,
हिंदी और औरत में अंतर क्या है।
हिंदी को भी माँ बताया जाता है
हर्षोल्लास से हिंदी दिवस मनाया जाता है
फिर रख के दिल में ज़ुबान
से हटाया जाता है
गर ये हसीन है तो खंडर क्या है
हिंदी और औरत में अंतर क्या है
जब भरी हों आँखें फिर समुन्दर क्या है।