इंडियन साइंस कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में इजराइली नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर अडा योनथ के समक्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की दिव्यांग शोध छात्रा अंजना ठाकुर ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी को साझा किया।  उन्होंने वैज्ञानिक बनकर दिव्यांग महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करने के सपने और उमंग फाउंडेशन के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों के लिए अपने  योगदान के बारे में भी बताया। डॉ. अडा योनथ ने अंजना एवं हिमाचल की अन्य प्रतिभागियों के जज़्बे की प्रशंसा की। प्रदेश विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता(विज्ञान) डॉ नीरज शर्मा के नेतृत्व में अंजना ठाकुर समेत प्रदेश की महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने नागपुर में इंडियन साइंस कांग्रेस के 108 वें अधिवेशन में हिस्सा लिया। यह अधिवेशन 3 से 7 जनवरी तक चला। इसमें विश्वविद्यालय में बॉटनी में जेआरएफ एवं पीएचडी की दिव्यांग शोधार्थी अंजना ठाकुर के अलावा स्पीति के काजा में स्टेट बैंक में कार्यरत पालमो देवी, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से शिक्षिका मीनाक्षी सूद और पोर्टमोर स्कूल से खेमा शर्मा भी शामिल थीं।

प्रोफेसर नीरज शर्मा ने बताया कि वर्ष 2009 में केमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाली इजराइली वैज्ञानिक डॉ. अडा योनथ ने “महिला विज्ञान कांग्रेस” सत्र में पहाड़ी राज्य हिमाचल की प्रतिनिधियों के संघर्ष और सफलता की कहानियों को बड़ी दिलचस्पी से सुना और प्रशंसा भी की। इस सत्र की अध्यक्षता इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन कोलकाता की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विजय लक्ष्मी सक्सेना ने की। इस अवसर पर एसबीआई शिमला के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक केके शर्मा भी उपस्थित थे। दिव्यांग शोधार्थी एवं उमंग फाउंडेशन की सदस्य अंजना ठाकुर ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। उनका कहना था कि छात्राओं में विज्ञान के प्रति अभिरुचि जागृत करने के लिए सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को विशेष प्रयास करने पड़ेंगे।

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